Navratri Special 2023: हमारे हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व को बहुत ही अच्छा माना जाता है। मां दुर्गा की पूजा-उपासना करने के लिए यह सर्वोत्तम समय होता है। हालाकि साल में 4 बार नवरात्रि आती हैं, इनमें से 2 प्रत्यक्ष और 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं। नवरात्रि के पूरे 9 दिन देवी माँ को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस समय की गई आराधना और पूजा पाठ का फल बहुत ही जल्दी प्राप्त होता है।
Navratri 2023: नवरात्रि में माता दुर्गा का आपके घर पर वास !
दोस्तों नवरात्रि में यह 7 संकेत बताते हैं, कि माँ दुर्गा आपसे बहुत प्रसन्न हैं और आपके घर में स्वयं आ चुकी है। यह 7 संकेत आप भी अपने घर में जरूर चेक करना। नवरात्रि के पूरे 9 दिन देवी माँ को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस समय की गई आराधना और पूजा पाठ का फल बहुत ही जल्दी प्राप्त होता है। नवरात्रि में माँ दुर्गा चैतन्य होती है। इसलिए इन दिनों में की गई सच्ची भक्ति का परिणाम माता दुर्गा हमें तुरंत दिखा देती है। इस समय गलत काम करने से चैतन्य होने के कारण माता रानी हमें अगर हम बुरा कर्म करें तो बुरा परिणाम भी तत्काल दिखाती है। हमें दंडित भी करती हैं।
नवरात्रि के पूरे 9 दिन हमें पूर्ण रूप से सात्विक विचार से रहना चाहिए। हमें नौ दिनों तक कपट, छल, ईर्ष्या और द्वेष आदि का परित्याग कर देना चाहिए। माँ दुर्गा जिस घर में आती है उस घर को पंडितों से भी ज्यादा पवित्र एवं शुद्ध कर देती है। वहाँ रहने वाले सभी लोगों की बुद्धि भक्तिमय हो जाती है और घर एकदम शांत रहता है। आनंद लगने लगता है तो आप भी अपने घर में चेक करना ये अगर साथ में से कोई भी संकेत आपको मिलने लगे तो समझ जाना मातारानी आपके घर में आ चुकी है। तो आइए जानते हैं कुछ संकेतों के बारे में।
Navaratri Special: नवरात्रि में भूलकर भी न करें यह काम नहीं तो माता रानी…
सर्वप्रथम मैं आप लोगों को नव दुर्गा के नौ स्वरूप एवं उनकी महिमा को बताऊँगा। इसके बाद में आप लोगों को संकेतों के बारे में बताऊँगा। कैसे और कौन से सात संकेत है जिससे आप पता कर सकते हैं कि माता रानी अब आपके घर में आ चुकी है। अगर आज के विडिओ मिस करदी तो सारी ज़िन्दगी पछताना पड़ेगा क्योंकि इस समय माता रानी हमारे घर में आ जाती है लेकिन कुछ गलतियों के कारण हम माता रानी को पहचान नहीं पाते। यही सबसे बड़ी हमारी मूर्खता है तो विडिओ को ध्यान से देखना माता रानी के नौ स्वरूप कहे गए हैं।
इनकी पूजा करने से हमें अलग अलग फल की प्राप्ति होती है। ये जानकारी सबसे पहले जानते हैं। क्योंकि आप में से अधिकतर लोग विडिओ को देख रहे हैं। व नव दुर्गा माता की पूजा करते हैं लेकिन उनके जो नौ स्वरूप है उनकी पूजा करने से कौन से फल की प्राप्ति होती है उनके बारे में उन्हें पता नहीं होता। ये सारी जानकारी विस्तार से बताऊँगा। अगर आप माता रानी के सच्चे भक्त हैं तो विडिओ को पूरा जरूर देखना क्योंकि अधूरा ज्ञान हमेशा खतरनाक साबित होता है। ध्यान से देखना और कमेंट बॉक्स में जय माता दी जरूर लिखना।
नवरात्रि के पहले दिन
नवरात्रि के प्रथम दिन हम देवी माँ शैलपुत्री की पूजा करते हैं। नवरात्रि में जो माता का प्रथम रूप है वह है शैलपुत्री तो शैलपुत्री के लिए बोला जाता है। ये पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा है। नवरात्रि के प्रथम दिन हम माता शैलपुत्री की उपासना करते हैं। वृषभ में माता शैलपुत्री स्थित रहती है। वृषभ इनका वाहन है। यह अपने हाथों में खड्ग, चक्र, गदा, धनुष, बाण और श्रम को धारण करके संपूर्ण आभूषणों से विभूषित होती है। मेलमड़ी के समान क्रांति युक्त दसभुजा माता की है। 10 चरण वाली है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है।
देवी पुत्री शक्ति, दृढ़ता, आधार पर स्थिरता का प्रतीक है। माता की उपासना करने से जीवन में स्थिरता आती है। तो अगर आप भी माता शैलपुत्री को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपके जीवन में स्थिरता आएगी। माता शैलपुत्री का जो बीज मंत्र है वो है ओमचंद शैलपुत्री। देबे नमः
नवरात्रि का दूसरा दिन
नवरात्र के दिन हम माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करते ही देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से कई प्रकार के मनोरथ की पूर्ति होती है। देवी ब्रह्मचारिणी इनका नाम क्यों पड़ा यह भी जान लेते हैं तो भगवान शिव से विवाह करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध देवी माता पार्वती ने कठोर ब्रह्मचारी का पालन किया। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और आचरण। उसका अर्थ होता है आचरण करने वाली तो इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ और आचरण करने वाली तो मातारानी ने कठोर तपस्या की। भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए इनके स्वरूप का सर्वप्रथम बखान जानते हैं तो देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला है। बाएं हाथ में कमंडल है और ब्रहम का स्वरूप है। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। माता की कृपा से ही सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। माता ब्रह्मचारिणी का मंत्र है या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै। नमस्ते नमस्तस्यै नमो नमः
नवरात्रि का तीसरा दिन
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करते हैं। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का केंद्र बना हुआ है। इसलिए माता का नाम चंद्रघंटा पड़ा है। इनके जो चंद है ये भयंकर है। घंटे की ध्वनि से ये सभी दुष्ट व्यक्तियों का नाश करती है इसलिए माता का नाम चंद्रघंटा पड़ा है। इनके स्वरूप जान लेते हैं तो माँ के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके तीन नेत्र हैं, 10 हाथ हैं। इनके कर कमल गधा धनुष, बाण, खड़क, त्रिशूल और अस्त्र शस्त्र लिए हुए हैं। अग्नि जैसे बनने वाले हैं, ज्ञान से जगमगाने वाली है। ये सिंह के आसन पर अरुण है तथा युद्ध में लड़ने के लिए अमुक रहती है। माँ की कृपा से साधक के समस्त पाप बाधाएं और जो परेशानियां आती है वे नष्ट हो जाती है। देवी की कृपा से जातक पराक्रमी और निर्भर होता है। अगर आप भी माँ चंद्रघंटा की पूजा करते हैं तो आपको निर्भयता की प्राप्ति होती है। देवी माँ चंद्रघंटा का मूलमंत्र है चंद्रघंटा देवी नमो नमः
नवरात्रि का चौथा दिन
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा करते हैं। अब कुष्मांडा क्यों पड़ा है नाम से भी सुन लीजिये यह माता कुष्मांडा है क्योंकि माता ने ही सृष्टि का निर्माण किया है इसलिए माता का नाम कूष्मांडा पड़ा है। माता रानी की आठ भुजाएं हैं और यह आठ भुजाएं कई प्रकार की है। ये आठ प्रकार की सिद्धि को अपने हाथों में प्रदान करने वाली कही गई है। इनका वाहन सिंह है और कूष्मांडा माता की आराधना करने से जातक के समस्त रोग और शोक जो होते हैं मिट जाते हैं। माता हमें आयोग यश और बल तथा आरोग्य प्रदान करती है। माता का मूलमंत्र है कुष्मांडा शर्मिंदा नामों नमः
नवरात्रि का पांचवा दिन
महा नवरात्रि के पंचम दिवस माता स्कंदमाता की पूजा करते हैं। शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी बनकर तपस्या करने के बाद भगवान शिव से विवाह किया, तदन्तर स्कंद उनके पुत्र बने। अर्थात कार्तिकेय जो हैं उनके पुत्र बने इसलिए माता स्कंदमाता कहलाए। स्कंद भगवान को अपनी गोद में हमेशा बैठे हुए माता रहती है इसलिए इनका नाम से स्कंदमाता पड़ा है। और इन माता की उपासना करने से समस्त इच्छा की पूर्ति होती है और परम शांति की परम सुख का अनुभव होता है। इनकी पूजा करने से आराधना करने से सभी प्रकार की वस्तु की प्राप्ति होती है। ऐश्वर्य मिलता है। अगर आप माँ की पूजा करते हैं तो ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं माता का मूल बीज मंत्र ओम देवी स्कन्दमाता नमा ये माता का मूल बीज मंत्र है।
नवरात्रि का छठा दिन
दोस्तों इसके बाद नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा करते हैं। माँ दुर्गा के छठे रूप को मार काट कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। आर सी कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा अनुसार उनके यहाँ पुत्री के रूप में पैदा हुई थी। आरुषि कात्यायन ने इनका पालन पोषण किया था इसलिए माता का नाम काट यानी पड़ा है। माता की भक्ति जातक को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फल प्रदान करती है। साधक अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। इनकी पूजा करने के बाद माता को जो मूल बीज मंत्र है वह इस प्रकार से है। ओम देवी कात्यायनी नमः इस मंत्र से जाप करके माता को प्रसन्न कर सकते हैं।
नवरात्रि का सातवा दिन
नवरात्र की सप्तमी तिथि नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा करते हैं। जी हाँ, माता कालरात्रि की उपासना करते हैं। सम्पूर्ण प्राणियों की पीड़ा हरने वाली अग्नि भय जल है। भय, रात्रि भय को दूर करने वाली काम, क्रोध और शत्रु का नाश करने वाली हैं। इनकी पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति, दुश्मनों का नाश और तेज बढ़ता है। माँ। अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्टों और भय से मुक्त कराती है। माता को जो बीज मंत्र है ॐ क्लीन चामुंडा नमः इस मंत्र का जाप करने से माता बहुत ही प्रसन्न होती है।
नवरात्रि का आठवां दिन
दोस्तों नवरात्रि की अष्टमी दिन नवरात्रि के जो अष्टम स्वरूप कही गई है माँ गौरी माँ दुर्गा का जो अष्टमी स्वरूप है ये माँ गौरी है। हिमालय में तपस्या करते समय गौरी का शरीर धूल मिट्टी से ढककर मलिन हो गया था। जिसे शिव ने गंगा जल से धोकर के मल को बाहर निकाला, मलिन शरीर को गौरव प्रदान किया। इसलिए माता का नाम गौरी पड़ा है और इनकी पूजा करने से क्या फल प्राप्त होता है आइए जानते हैं। ये सभी देवीयों की तुलना में सबसे जल्दी प्रसन्न होती है और अगर आप जल्दी प्रसन्न करना चाहते हैं। देवी दुर्गा के स्वरूप में किसी भी देवी की तुलना में आप महागौरी की पूजा करना शुरू कर दीजिये। इनकी पूजा करने से यह तत्काल प्रसन्न होती है। देवी का जो स्वरूप कहा गया है वो है सिद्धिदात्री। माँ दुर्गाजी का जो स्वरूप है वह है सिद्धिदात्री। ये सभी प्रकार की सिद्धि को देने वाली है। सिद्धि अर्थात मोक्ष को देने वाली तो देवी माँ का पूजा पाठ करने से सभी प्रकार की सिद्धि की प्राप्ति होती है। सभी प्रकार की कामना की पूर्ति होती है। इसीलिए नवरात्र के नौवें दिन इनकी पूजा से असंभव कार्य को भी संभव कर सकते हैं। इसलिए अधिकतर जितनी भी जातक है, साधक है। सिद्धि प्राप्त करने वाले वाले साधक माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और माँ कभी भी चाहे असुर हों, चाहे मानव हो, चाहे दानव हो, चाहे कोई भी हो, कितना भी उत्तम साध्य भी क्यों ना हो, किसी पर यह भेदभाव नहीं करती। सभी को यह सिद्धि प्रदान करती है। इनका जो बीज मंत्र है सिद्धिदात्री नमा आप में से अधिकतर दर्शक हमें कमेंट करते हैं कि गुरूजी हमें सिद्धि की प्राप्ति करने के लिए क्या करना चाहिए? तो अगर आप सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप मां सिद्धि विनायक की आराधना करना शुरू कर दें और जो बीज मंत्र बताया है इस बीज मंत्र का जितना ज्यादा हो सके जाप करें। इस बीज मंत्र का जाप करने से आपको आठ प्रकार की सिद्धि और नौ प्रकार की निधि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में ये 7 संकेत बताते हैं मां दुर्गा आपसे बहुत प्रसन्न हैं और आपके घर में आ चुकी हैं।
आइये अब इस वीडियो में जानते हैं नवरात्रि में ये सात संकेत बताते हैं मा दुर्गा आपसे बहुत प्रसन्न हैं और आपके घर में आ चुकी हैं।
पहला संकेत
पहला संकेत बार बार गौ माता का आना। जिंस घर में माँ दुर्गा रहती है। उस घर में उनकी बहन कामधेनु उनकी सेवा के लिए उनके दर्शन के लिए बार बार घर के द्वार पर बिल्कुल ही आती है और यह घर के इर्द गिर्द घूमती रहती है। वहाँ से नौ दिनों तक नहीं भागती तो समझ जाना मातारानी आपके घर में आ चुकी है।
दूसरा संकेत
दूसरा संकेत मधुमक्खी का घर में आना देखिए। मधुमक्खी को माँ दुर्गा का भ्रमण का स्वरूप कहा गया है, जिसे घर में नवरात्रि में मधुमक्खी आती है तो समझ जाना उस घर में माता रानी आ चुकी है क्योंकि जो मधुमक्खी है यह माँ दुर्गा का ही स्वरूप कही गई है और यह अपने पूर्ण स्वरूप के दर्शन के लिए अर्थात नौ दुर्गा के दर्शन के लिए सेविका बन करके आती है तो समझ जाना आपके घर में माँ दुर्गा आ चुकी है।
तीसरा संकेत
तीसरा संकेत ज्योति का तेल गति में जलना जी हाँ, अगर आपने अपने घर में माता रानी की प्रसन्नता के लिए भक्ति प्राप्त करने के लिए ज्योति स्थापित करके रखी है और अगर ज्योति की लॉ तेज गति से जल रही है तो समझ जाना ज्योति के समक्ष स्वयं माता रानी खड़ी है और आपको भी अंतर आत्मा से मातारानी के होने का एहसास होगा। तो इन संकेतों से भी पता कर सकते हैं कि माता रानी आपके घर में आ चुकी है।
चौथा संकेत
चौथा संकेत नवरात्रि में दीपक की बाती में फूल का बनना अगर आपके दीपक की बत्ती मैं अचानक से फूल बनने लगे तो समझ जाना नव दुर्गामाता आपके ऊपर बहुत प्रसन्न हैं, आपके ऊपर पूर्ण रूप से अपनी कृपा बरसा रही है और मातारानी आपके घर में आ चुकी है। आपके सभी कष्टों को दूर करके माता रानी इस लोक से फिर जाएंगी अर्थात आपके घर से जाएंगी।
पांचवां संकेत
पांचवां संकेत बताते हैं, बार बार घर में अगर काली चींटी निकलने लगे अगर काली चींटियां समूहबद्ध निकल रही है और रास्ता काटती है तो समझ जाना माता रानी आ चुकी है और आपके सभी प्रकार की इच्छा को पूर्ण करके जाएंगी। यह माता लक्ष्मी के होने का एहसास कराता है।
छठा संकेत
छठा संकेत अचानक घर में मनमोहक सुगंध आने लगे। यदि आपको अपने घर में अचानक से इतर जैसी कोई सुगंध आने लगे, ठंडी हवा चलने लगे तो समझ जाना माता रानी आ चुकी है और अपने होने का एहसास आपको करा रही है तो इन संकेतों से भी पता कर सकते हैं कि माता रानी आपके घर में यहाँ चुकी है।
सातवाँ संकेत
सातवाँ संकेत फटे कपड़े पहने अगर कोई याचक आ जाये तो समझ जाना मातारानी आपके द्वार पर याचक बंद करके आ चुकी है। नवरात्रि में कोई भी याचक आए तो खाली हाथ भूलकर भी मत जाने देना क्योंकि स्वयं माता रानी परीक्षा लेने के लिए हमारे घर में याचक बनकर के आ जाती है क्योंकि इस बार अपने भक्तों की परीक्षा लेने के लिए धरती पर स्वयं आते हैं और ये आपको समझना होगा।
तो ये सात संकेत बताते हैं कि माता रानी आपके घर में आ चुकी है और आप से काफी प्रसन्न है। इनमें से आपको कौन सा संकेत मिला है? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताये और कमेंट बॉक्स में जय। माता रानी अवश्य लिखें, सवस्थ रहें, सुरक्षित रहें धन्यवाद।